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२ नवंबर को शाहरुख खान ने अपना ४४वां जन्मदिन मनाया। इस अवसर पर उनकी एक आस्ट्रेलियाई प्रशंसक ने उनके लिए चांद पर जमीन खरीदी। मजे की बात यह है कि पिछले कुछ सालों से वे लगातार ऐसा कर रही हैं। अब भई शाहरुख ठहरे किंग खान और उनकी प्रशंसक भी किसी क्वीन से कम नहीं होगी तभी तो उनके लिए चांद पर जमीन खरीद दी। शाहरुख भी मन ही मन खुश हो रहे होंगे कि चलो अच्छा है चांद पर अपने नाम जमीन हो गई। वैसे भी दुनिया की आबादी इतनी बढ़ रही है कि एक समय ऐसा आएगा जब लोगों को चांद पर ही शिफ्ट करना पड़ेगा। लेकिन इस खबर को सुनते ही किसी का चेहरे सूरजमुखी की तरह खिल गया तो किसी का चेहरा मुरझा गया।
हमारे मित्र चम्पतिया अपना लटका हुआ चेहरा लेकर हमारे पास आए। हमने पूछा, क्या हुआ चम्पू। वह छूटते ही अपना दुखड़ा रोने लगा। कहने लगा हमारी चांद यानी हमारी प्रेमिका को चांद का टुकड़ा चाहिए। पहले उसको इम्प्रेस करने के लिए हमने बहुत फिल्मी वादे किए क्योंकि हमको पता था कि ये कभी सच नहीं हो सकते। लेकिन हमारे वादे अब हमको ही भारी पड़ रहा है। हमने पूछा, ऐसा क्या हो गया। वह बोला कल हम गार्डन में अपनी प्रेमिका के साथ बैठे हुए थे। हम बड़े रोमांटिक मूड में थे। हमने भी हीरो के अंदाज में गाना गा दिया कि जान, तुम जो कह दो तो चांद-तारों को तोड़ लाउंगा मैं, इन हवाओं को इन घटाओं को मोड़ लाउंगा मैं। इतना कहना था कि वह गुस्से में उठ खड़ी हुई और कहने लगी, तुम बस वादे करो,निभाओ मत। तुम मेरे लिए चांद-तारे मत तोड़, हवाओं को मत मोड़ो बस मेरे वैलेंटाइन डे पर मुझे चांद पर जमीन गिफ्ट कर देना। इतना सुनना था और मेरे होश फाख्ते हो गए। मुझे अपनी बेवकूफी पर गुस्सा आ रहा था और उस गीतकार पर भी जिसने यह गीत लिखा। पहले के प्रेमी अपने प्रेमिका को ऐसे वादे करके बहला देते थे लेकिन आज के वैज्ञानिक युग में ऐसे वादे हम जैसे प्रेमियों के आफत हैं, पता नहीं कब कौन सा वादा सच करना पड़ा जाए।
हमने उसका दुखड़ा सुना और उस पर बड़ा तरस आया। उसकी निगाहें हमसे समाधान की भीख मांग रही थीं। हमारी एक बुरी आदत है कि हम अपने समस्याओं का समाधान भले ही न कर पाएं लेकिन दूसरों के फटे में टांग जरूर अड़ाते हैं और बुरी आदत छूटती कहां हैं? हमने कह दिया कि इस समस्या का समाधान है। तुम अपनी प्रेमिका से कह दो कि चांद पर जमीन मैं भी खरीद सकता हूं लेकिन उसके गड्ढे हमारे रायपुर के सड़कों के गड्ढों से भी खतरनाक हैं। रायपुर के सड़कों के गड्ढों से हम ढचके खाकर निकल भी जाते हैं लेकिन वहां के गड्ढे इतने बड़े हैं कि अगर उसमें फंसे तो वहीं अपना आशियाना बनाना पड़ेगा। चांद इतना खूबसूरत नहीं है जो मैं अपनी खूबसूरत प्रेमिका के लिए वहां जमीन खरीदूं। प्रियवर, तुम्हारे लिए तो मैं शनि पर जमीन खरीदूंगा, नहीं मैं तो उसके खूबसूरत छल्ले तुम्हारे लिए खरीदूंगा। मैंने कहा इतना कहने से तुम्हारी प्रेमिका मान जाएगी और वैसे भी शनि तक पहुचंने में इंसानों को कम से कम ५०-६० साल तो लग ही जाएंगे तब शायद हमारी अगली पीढ़ी के प्रेमी इस बात पर लड़ें। खैर छोड़ो इन सब बातों को तुम वर्तमान का आनंद लो और अपनी प्रेमिका को मनाओ। हम तो हैं ही रायपुर निवासी और राय देना तो मेरा जन्मसिद्ध अधिकार है। मेरे दोस्त ने मेरी राय पर अमल किया और आश्चर्यजनक रूप से उसकी प्रेमिका मान भी गई। मैं बहुत खुश था कि चलो मैंने किसी की समस्या का समाधान तो किया। मेरा सीना खुशी के मारे दो इंच चौड़ा हो गया। लेकिन तभी मेरा मोबाइल घनघनाया, फोन पर मेरी चांद यानी प्रेमिका थी और उसने भी अब चांद के टुकड़े की फरमाइश कर दी थी। ये बात सुनकर मेरी सारी खुशी काफूर हो गई।
खैर मैं निपटता हूं अपनी प्रॉब्लम (गर्लफ्रैण्ड)से।
आपको मेरे ब्लॉग का पहला पोस्ट कैसे लगा जरुर बताइए
बुधवार, नवंबर 04, 2009 |
Category:
व्यंग्य
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