अलसुबह गनगगुनी धूप में चाय और बिस्कुट मिल जाए तो समझो कि दिन की शुरुआत अच्छी हो गई  और अगर वे आपके पड़ोसी के यहां के हुए तो समझिए दिन सुपरहिट। हमारे पड़ोसी पांडेजी के यहां से चाय-बिस्कुट का निमंत्रण भी आया, ऐसा लगा जैसे विपक्ष में होते हुए किसी ने मंत्रीपद का ऑफर दे दिया हो, मगर हमें उसे ठुकराना पड़ा। दरअसल हमारा उपवास था, पांडेजी का विकेट मिला भी तो नो बॉल पर। पांडेजी को जैसे ही हमने बताया कि हम बिस्कुट नहीं खा सकते, उन्होंने सवाल दागा- ये क्या अनर्थ हो रहा है? एक मंत्री प्रायश्चित का उपवास कर रहा है, आप बिस्कुट नहीं खा रहे हैं, सोना टूट रहा है, और लूटने वाला पेट्रोल वाले  छूट पर छूट दे रहे है। ऐसे अजीबोगरीब चीजों के हम आदी नहीं, हमारा देश कहां जा रहा है?


उनके सवालों के रॉकेट को जैसे-तैसे संभालते हुए हमने कहा- चिंतित न हों, देश कहीं नहीं जा रहा। शक भरी निगाहों से घूरते पांडेजी ने फिर पूछा- लगता है आप रईस हो गए हैं। मैंने अचरज से पूछा- उपवास और रईसी में ये क्या कनेक्शन जोड़ रहे हैं आप? पांडेजी बोले- आजकल दो लोग ही उपवास कर रहे हैं- एक गरीब और दूसरा रईस। गरीबों को तो खाने नहीं मिल रहा है इसलिए उसका वैसे भी उपवास हो जाता है और आपकी तरह सार्वजनिक घोषणा कर रईस लोग ही उपवास  करते हैं।  मैंने सफाई दी- नहीं पांडेजी, रईसी से तो हमारा छत्तीस का आंकड़ा है वह ऐसी प्रेमिका है, जो जो हमारी हो नहीं सकती ।


अच्छा अब मैं समझ गया, आप भी जरूर प्रायश्चित का उपवास कर रहे हैं। आपने क्या बयान दे दिया। इसलिए कहता हूं जुबान पे लगाम लगाकर रखा कीजिए। दुनिया का सबसे मुश्किल यान है ब'यानÓ। जिसने ढंग से उड़ा लिया, उड़ा लिया, जिसने गलती कि समझो उसकी क्रैश लैंडिंग हुई। पांडेजी के सारे सवालों पर हमने पूर्णविराम लगाते हुए कहा- हमारा नवरात्रि का उपवास है। इतना सुनते ही पांडेजी की प्रश्नात्मक एक्सप्रेस पर ब्रेक लग गया। कुछ देर बाद उनकी गाड़ी फिर शुरु हो गई, वे पूछने लगे- अजीत पवार के उपवास पर आप क्या कहना चाहेंगे। मैंने कहा- उनसे तो उनका पद ही छीन लेना चाहिए था। पांडेजी टोकते हुए बोले- ये तो ज्यादती है, सिर्फ एक बयान के बदले मंत्री पद ना..ना..ना..। ये तो वही बात हो गई कि किश्त आपने मोटरसायकिल का नहीं भरा, और रिकवरी वाले आपका घर सीज़  कर जाएं। वैसे मंत्रीजी का प्रायश्चित और सोने का टूटने में क्या कनेक्शन लगता है आपको। पांडेजी को रोकते हुए मैं बोला- बस पांडेजी, अब ये कनेक्शन मत जोडि़ए। पवारजी में इतना पावर नहीं कि सोने के दाम गिरा दें।


दरअसल अभी प्रायश्चित का मौसम चल रहा है। सोने को अहसास हो चुका था कि उसने लोगों का सोना मुहाल कर रखा है। लोग तो सोने के सपने देखने से भी डरने लगे हैं। इसलिए प्रायश्चित की भावना से सोना टूटकर नीचे आ गया और सोना अब फिर से 'सोणाÓ बनने चला है। वहीं पेट्रोल को भी इस बात का बड़ा दुख था कि उसके दामों ने जनता के बटुवे से पैसों का 'रोलÓ ही खत्म कर दिया है। वह भी अपराधबोध से ग्रसित था। इसलिए इस प्रायश्चित सीजन में वह भी कभी 2 तो कभी 1 रुपए दाम गिराकर करके पापों का प्रायश्चित कर रहा है। उधर आईपीएल में भी प्रायश्चित जारी है, पोंटिंग-हरभजन पिछली बातें भूल गले मिल रहे हैं, जैसे आईपीएल न हुआ इंडियन प्रायश्चित लीग हो गया। देखिए पांडेजी, फंडा साफ है बांध में पानी हो या ना हो, प्रायश्चित की गंगा बहते रहनी चाहिए।


इतना सुनते ही पांडेजी के चेहरे पर एक अद्भुत तेज आ गया, जैसे कि ब्रह्मज्ञान मिल गया हो। उन्होंने झट से कहा- प्रायश्चित की बहती गंगा में मैं हाथ धोऊंगा ही नहीं, बल्कि नहाऊंगा। मैं भी पाप और प्रायश्चित का बैलेंस शीट मेंटेन करूंगा। अब तक किए हुए घपलों के प्रायश्चित के लिए आज मैं उपवास करूंगा। बल्कि मैं तो आगे किए जाने वाले घपलों के लिए एडवांस में उपवास करूंगा, ताकि घपले करने पर दिखा सकूं- देखिए मैंने एडवांस टैक्स की तरह एडवांस प्रायश्चित कर रखा है। प्रायश्चित के इस अलौकिक वातावरण में भाभीजी के आंखों से आंसू छलक पड़े। दरअसल दो उपवासवालों के समक्ष कुरकुरे और स्वादिष्ट बिस्किट रखकर उन्होंने भी पाप कर दिया था, इसका अहसास होते ही वे प्रायश्चितवश बिस्किट लेकर वापस सरपट किचन में लौट गई। प्लेट में उछलती-कूदतीं बिस्किट हमें और हम उसे निहार रहे थे, मानों कह रहे हैं हों अच्छा तो हम चलते हैं..... फिर कल मिलेगें।