कुछ दिनों पहले अखबार में एक बड़ी रोचक खबर पढ़ने को मिली। फिल्म और खेल पन्ने के बीच में दबे-कुचले से पन्ने में छपी इस खबर पर मेरी नजर अटक गई। कैटरीना की टांगों ने मुझे फिल्म पेज की तरफ आकर्षित करने की कोशिश लेकिन मैं डिगा नहीं. सचिन ने भी बल्ला दिखाकर खेल पेज पढ़ने की पेशकश दी पर मैंने वो भी ठुकरा दी। आखिर में उस खबर को पढ़कर ही मैंने दम लिया। खबर का शीर्षक था- "२१ ग्राम की होती है आत्मा"। खबर पढ़कर मुझे विश्वास नहीं हुआ। आत्मा का वजन मात्र २१ ग्राम। ये कैसे मुमकिन है।
इन प्रयोगधर्मी खुरापाती वैज्ञानिकों ने न जाने किन उल-जुलूल परीक्षणों के आधार पर आत्मा का वजन निकाल लिया। पहले एक इंसान का मरने के पूर्व वजन किया और फिर मरने के उपरांत। दोनों में २१ ग्राम का फर्क आया। बस इसी आधार पर घोषणा कर दी कि आत्मा का वजन २१ ग्राम है। पर मेरा मन अब भी यह स्वीकार करने को तैयार नहीं था।
जरूर जिस व्यक्ति के शरीर को तौलकर आत्मा का वजन निकाला गया होगा वह बहुत सज्जन, ईमानदार और साफ दिल का रहा होगा। वैसे इस प्रजाति के लोग दुनिया में ज्यादा नहीं बचे हैं। जिस तरह बाघों को बचाने अभियान चलाया जा रहा है, इनको बचाने भी अभियान चलाने की जरूर है। खैर मुद्दे की तरफ वापस चलते हैं। वह शख्स जरूर सज्जन किस्म का इसलिए रहा होगा क्योंकि अगर उसने कुछ पाप वगैरह किए होते तो उसकी आत्मा पर बोझ रहता जिससे आत्मा का वजन बढ़ता ना। परंतु आत्मा का वजन मात्र २१ ग्राम निकला यानि उन्होंने कुछ छोटे-मोटे मामूली टाइप के पाप किए होंगे जिस पर उनको रियायत देते हुए भगवान ने उनको स्वर्ग में एंट्री दे ही दी होगी। आशा करते हूं वे वहां मज़े से होंगे और पृथ्वी पर दोबारा आने की गलती कतई नहीं करेंगे।
वैसे अंदर की खबर यह पता चली है कि इस व्यक्ति से पहले भारत के एक अति भ्रष्ट मंत्री की भी आत्मा का वजन लिया गया था। परंतु उनकी आत्मा में इतना मैल था कि उसका वजन उनके शरीर से भी ज्यादा निकल गया। ऊपर से उनके पेट से चिपका ५० किलो का मटका जो उनके द्वारा किए गए बड़े-बड़े घोटालों की बानगी दे रहा था। इनकी आत्मा का वजन निकालने में लगी मशीन ने तो वहीं हाथ-पैर जोड़ लिए और वजन निकालने से तौबा कर ली। वैज्ञानिकों ने भी इस खबर को बाहर जाने नहीं दिया वरना आम जनता तो मरने से भी डरने लगती।
दूसरी तरफ इन मंत्रीजी की भारी-भरकम किसी तरह घिस-घिसटकर स्वर्ग के दरवाजे तक तो पहुंच गई लेकिन इनकी हैवीवेट आत्मा स्वर्ग के छोटे से द्वार से कहां निकल पाती। कभी ये द्वारपाल से जुगाड़ जमाने की कोशिश करते तो कभी चित्रगुप्त से गुप्त रूप से मित्र बनने का प्रयास करते, पर सब व्यर्थ। अंत में चित्रगुप्त ने साफ साफ कह ही दिया कि जाओ डाइटिंग करो थोड़ा वजन घटाओ, इतने पाप करके आत्मा पर बोझ बढ़ा दिया जाओ बोझ कम करो फिर यहां आओ। अब मंत्रीजी की भारी भरकम आत्मा वापस पृथ्वी पर आकर भटक रही है। और अब वे अपने तरह के भ्रष्ट लोगों की पोल-पट्टी में खोलने में लगे हैं ताकि कुछ तो वजन घटे और स्वर्ग का टिकट कटे। इन दिनों में उन्होंने बहुतों के घोटाले की किताब खोलकर रख दी एक के बाद एक। वैसे आपने तो कुछ पाप-शाप नहीं किए ना। किए भी हैं तो टेंशन नॉट अभी उनका फोकस सिर्फ बड़े मुर्गों पर है पर पता नहीं कब छोटे-मोटे पापियों पर भी नजर रखने लग जाए। संभलकर रहिएगा कहीं वो आपके आसपास न हो, वैसे भी आत्मा दिखाई नहीं देती। म..म..मै... चलता हूं इनकी आत्मा तो मेरे पीछे ही खड़ी है। भागता हूं.... फिर मिलूंगा।
रविवार, जनवरी 16, 2011 |
Category:
व्यंग्य
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