घोटालों की होली













यूपीए तोड़ रही है, भ्रष्टाचार के रिकार्ड सारे,
क्या अफसर, क्या नेता, भष्ट यहां हैं सारे,
सरकार के मंत्रियों पर चढ़ा घोटाले का रंग है,
देख के घोटाले की होली, सारी दुनिया दंग है,
किसी ने बनाया कॉमन से वेल्थ,
तो कोई हुआ 2जी से मालामाल,
जिसने चुना था इनको, वही जनता रही बेहाल,
बहुत हुआ सब घोटाला, अब जनता सबक सिखाएगी,
अगले साल चुनावी होली में अपना रंग दिखलाएगी,

बाबा-अन्ना की होली













सुन सरकार के घोटालों की किलकारी,
बाबा-अन्ना तैयार हुए ले लोकपाल की पिचकारी,
काले धन का  राग अलाप बाबा कूदे मैदान में,
आंदोलन का रंग भर बैठे रामलीला मैदान में,
कालाधन तो नहीं आया, पर पुलिस दौड़ाने आई,
इस आपाधापी में बाबा की जुल्फें काम आई,
झट रूप धर के महिला का बाबा बच के निकले,
प्रेस कान्फ्रेंस दे सलवार सूट में, बाबा आश्रम को निकले,














इसके बाद आए अन्ना खेलने लोकपाल की होली,
सर पर चढ़ा अन्ना टोपी आई टीम अन्ना की टोली,
लोकपाल की पिचकारी से देश हुआ सराबोर,
लोकपाल लोकपाल का जप सुनाई दिया चहुंओर,
देख अन्ना का ऐसा क्रेज, भ्रष्टों की टोली बिचकाई,
अन्ना को उसने सरकारी लोकपाल की गुलाल लगाई,
सरकार लोकपाल का फीका रंग, देख अन्ना बौराए,
चले अन्ना आगे-आगे, पूरा देश उनके पीछा आए,


जनता होए कन्फ्यूज












नागनाथ-सांपनाथ को देख, जनता के उड़े फ्यूज,
किसे वोट दे, किसे न दें, जनता होए कन्फ्यूज,
जनता होए कन्फूज कि चुना पहले मुलायमराज,
मुलायम तो निकले कठोर, और आया गुंडाराज,
देखके गुंडाराज, जनता का मन पछताया,
अगली बार लिया बदला, माया को ताज पहनाया,
पर माया निकली जादूगर, अपना मायाजाल फैलाया,
मूर्तियां लगवाती रहीं माया, यह देख जनता फिर पछताया,
जनता फिर होए कन्फ्यूज, किसी को न चुनते काश,
राईट टू रिजेक्ट होता, तो करते सबको रिजेक्ट आज,
कन्फ्यूज जनता मजबूर भी है, फिर चुना मुलायमराज,
मायाजाल खत्म हुआ, अब क्या फिर शुरु होगा गुंडाराज?




(बुरा न मानो होली है............)