ramdev-rakhi-sawantदुनिया में दो लोग कुछ भी कर सकते हैं- पहले तो जाहिर सी बात है रजनीकांत ही होंगे। लेकिन जो दूसरा नाम है वो है असली धमाका। जी हां, धमाके पे धमाके करने वाली ड्रामा क्वीन राखी सावंत। राखी जब भी कुछ करती हैं लोगों को चौंका कर रख देती हैं, अब क्या करें उनका रेपुटेशन ही ऐसा बन गया है। लेकिन इस बार तो राखी ने सबको हिला दिया जब उन्होंने रामदेव से शादी करने की इच्छा जाहिर की। कहां हमारे बाबा बेचारे ब्रहामचारी और उनके पीछे पड़ गई स्वयंवरवाली। परंतु राखी द्वारा इस प्रेम निवेदन के बहुत दिनों बाद भी जब रामदेव की कोई प्रतिक्रिया नहीं आई तो हम समझ गए कि ये एकतरफा प्रेम का मामला है। वैसे इसे प्रेम कहना उचित नहीं होगा, ये आकर्षण हो सकता है। वैसे ये प्रेम है या आकर्षण इस पर विस्तृत चर्चा हम अगले साल वेलेंटाइन डे पर जागरण जंक्शन में होने वाले प्रेममय कांटेस्ट के दौरान कर लेगें। पर अभी के लिए तो हम दुखी थे। वो क्या है ना एकतरफा प्यार से हमें बड़ा दुख होता है। हम अपने जमाने के पहंचे हुए एकतरफा प्रेमी रहे हैं। बहुत सारे एकतरफा प्यार के भुक्तभोगी। अब जैसा कि आप जानते हैं हमें दूसरे के फटे मे टांग अड़ाने की बहुत बुरी आदत है। अगर फटा न भी हो तो हम फाड़कर उसमें अपना टांग अड़ाते हैं। बस हमने राखी को एकतरफा प्यार के दर्द से बचाने की ठान ली। बाबा रामदेव और राखी की बात को आगे बढ़ाने का निर्णय किया। वैसे  न तो राखी ने बाबा रामदेव से प्रतिक्रिया मांगी थी और न बाबा प्रतिक्रिया देने के किसी मूड में थे, पर हम तो हम हैं, मैच मेकिंग के लिए बिलकुल आमादा।

हमने झट से जुगाड़शास्त्र द्वारा किसी तरह बाबा रामदेव और राखी सावंत की कुंडलियां जुगाड़ी और चल पड़े अपने प्रिय मित्र पोंगा पंडितजी के पास। मैंने सोचा पहले कुंडिलयां मिला ली जाएं दोनों की वरना मालूम पड़ रहा कि मैंने दोनों की बात बना दी और आखिर में कुंडली ही नहीं मिलीं। पोंगापंडितजी के घर पहुंचने ही मैंने उनको दोनों की कुंडलियां थमा दी और हांफते हुए बोला- बड़ी जल्दी में हूं। बस जल्दी से दोनों की कुंडिलयां देखिए और बताइए कितने गुण मिलते हैं। पंडितजी उस समय किसी दूसरे जोड़े की कुडंलियां जांच रहे थे। वे बोले- क्या हुआ, इतनी जल्दी में क्यूं हों, किसकी कुंडिलयां है ये। मैं उनके सामने पड़ी पुरानी कुंडलिया हटाते हुए बोला- इन्हें हटाइए और लीजिए जल्दी जांचिए बाबा रामेदव और राखी सावंत की कुडंलियां, एकदम फटाफट।


बड़े बेमन से उन्होंने कुंडिलयां जांचनी शुरू की लेकिन जांचने के कुछ क्षणों बाद ही वे सुपरफास्ट ट्रैन की तरह पटरी पर दौड़ने लगे। वाह-वाह पहले तो इनके गुण दूर-दूर तक नहीं मिलते थे लेकिन परिस्थितयों ने ऐसा खेल खेला कि ३० गुण मिल रहे हैं। मीडिया में रहने का गुण जो राखी में ऊंचे स्तर तक था और बाबा जो मीडिया से दूरी बनाकर रखते थे, हाल के दिनों में ऐसा छाए कि मीडिया वाले गुण इनमें समा गए। स्वास्थ्य को लेकर सजग दोनो ही रहते हैं। राखी तो शुरू से ही वाचाल रही हैं लेकिन हाल  के दिनों में बाबा ने भी बोलना सीख लिया और ऐसा बोला कि सबकी बोलती बंद कर दी। तो भैया सुमित, मेरे तरफ से तो ये रिश्ता एक फिट है। अब बाकी तुम्हारा सिरदर्द है।


मैंने धन्यवाद देते हुए कहा- आपने इतना बता दिया बस और क्या चाहिए। बड़ी कृपा आपकी। हम तो पैदाइशी मैचमेकर हैं। जब मेट्रीमोनियल साइट्स का निर्माण भी नहीं हुआ था, हम तो तबसे सक्रिय हैं। हमारा बस चले तो हम तो किसी को कुवारा ही न रहने दें, सबकी शादी करवा दें। खैर, हम निकल पड़े अपने मकसद पे। सबसे पहले राखी से पूछना जरूरी था कि बाबा में उन्होंने ऐसा क्या देखा जो वे उनके प्रति आकर्षित हो गई। घर पहुचने पर पहले तो राखी ने हमको हडकाया पर खुद को मीडियावाला बताने पर अंदर बुलाकर अपने हाथों से जलपान की व्यवस्था की। मैंने पहला समोसा उठाते हुए पहला सवाल दागा- राखीजी, अपने असफल लव अफेयर, असफल स्वयंवर और असफल कैरियर के बाद आप अब ये क्यों मानती हैं कि बाबा में ही आपका भविष्य है। राखी बोली- सबसे पहले तो मेरा अफेयर मेरी गलती थी, नादानी थी।  स्वयंवर तो मैंने खास बाबाजी के लिए ही रचवाया था पर बाबा के वहां न पहुंचने से मैं दुखी हुई, इसलिए शादी का ड्रामा करने के बाद मैंने उसे तोड़ दिया। मैं तो शुरू से ही बाबा की दीवानी हूं।


तो राखीजी आप खुद को बाबाजी की दीवानी बताती हैं पर ये बताइए बाबा में ऐसा क्या देखा जो आप इंप्रेस हुई। राखी- देखिए मैं तो शुरू से ही उनके योग पर लट्टू हूं। जिस गति से वे अपना पेट घुमाते हैं उसी गति से मेरा डांस भी लोगों का दिल धड़काता है। सलमान, शाहरुख, आमिर ने तो सिक्स पैक बनाएं, लेकिन बाबा के तो नेचुरल फ्लैक्सीबल एब्स हैं। जैसा कि मैंने बताया कि स्वयंवर तो मैंने बाबा के लिए ही करवया था लेकिन वे नहीं आए इसलिए इस बार मैंने खुले आम प्रेम निवेदन किया है और बस बाबा की एक हां की देरी है, मैं चैनल वालों से बोलकर हमारा पर्सनल स्वयंवर करा दूंगी।


म..म..मतलब कि आप चाहती हैं बाबा वैसे ही उल-जुलूस कलाबाजियां करें जैसे स्वयंवर के दौरान अन्य प्रतियोगियों ने किए थे, मैंने सवाल दागा। राखी- हां, दरअसल बाबा में ही वो स्टेमिना है कि वे सारे टास्क बखूबी कर सकते हैं। उनकी फिट बॉडी और स्वास्थ्य के प्रति उनकी सजगता की ही तो मैं दीवानी हूं। उनसे शादी करने से मुझे योग ट्रेनर का भी फायदा मिल जाएगा और मैं भी फिट रहूंगी। मुझे पहले बाबा का चुप रहने वाला स्वभाव कुछ खास पसंद नहीं था, लेकिन हाल के दिनों में उनके मुंह से एक के बाद तूफानी बयान निकले हैं कि उन्होंने तो मुझे भी हरा दिया। मैं तो हूं ही बड़बोली, और बाबा द्वारा ऐसे बोलबचन तो मानो सोने पर सुहागा हैं।


मेरे हिसाब से बाबा मेरे लिए परफेक्ट वर हैं। इतना बड़ा बिजनेस हैं, पापुलर हैं, फिट हैं, जवान हैं, सफल हैं, मुझे और क्या चाहिए। आपने कहा कि आप हनीमून चांद पर मनाना चाहेंगी, ऐसा क्यूं?? देखिए, लोग तो मुझे पहले ही कहते थे कि मैं इस दुनिया की नहीं हूं, किसी और ही दुनिया में रहती हूं। और बाबा भी मुझे इस दुनिया के नहीं लगते। इसलिए मैं उनके साथ अपना हनीमून इस दुनिया से बाहर चांद पर मनाना चाहती हूं।


पर क्या आपको लगता है कि बाबा और आपकी जोड़ी जमेगी?? जमेगी क्यों नहीं, राखीजी तुनकते हुए बोली। जोड़ी जमने के लिए दोनों का एक जैसा होना जरूरी नहीं बल्कि एक-दूसरे का पूरक होना जरूरी है। बाबा बोलते कम हैं और मैं बड़बोली हूं, अगले अनशन के समय वे कुर्सी पर बैठे रहेंगे और मैं बोलती रहूंगी, बोलती रहूंगी और बौलती रहूंगी। आप तो जानते ही हैं जब मैं बोलती हूं सबकी बोलती बंद हो जाती है। और जहां तक बात है रात को पुलिस द्वारा लाठीचार्ज की तो मुझे देखकर किसी की लाटी उठाने की भी हिम्मत नहीं होगी, आप जानते हैं मैं कितनी खतरनाक हूं।


पर राखीजी बाबा से पहले आप राहुल गांधी के पीछे पड़ी थी। राखी- देखिए, मैं किसी के पीछे  नहीं पड़ती, लोग मेरे पीछे पडते हैं। वैसे भी राहुल का नाम तो मैंने ऐसे ही बाबा को जलाने के लिए लिया था। आप तो जानते ही हैं ना, ज्येलसी फैक्टर। पर, बाबा तो तब जलेंगे न जब उनके मन में आपके लिए कुछ हो, वे तो बह्मचारी हैं। और मुझे नहीं लगता कि उनकी आपसी शादी करके अपना ब्रह्मचर्य तोड़ने में कोई दिलचस्पी है। मेरा द्वारा इतना कहते ही राखीजी बौखला गई और मेरे हाथ का समोसा छीनते हुए बोली, चलो उठो। तो तुम हो असली फसाद। तुम ही हो बाबा को मेरे खिलाफ भड़काने वाले। तुम नहीं चाहते कि मेरी उनसे शादी हो, तुम चाहते हो वे आजीवन ब्रह्मचारी रहें।  मैं समझ गई, तुम मुझे पसंद करते हो। अगर मुझे इतना ही पसंद करते हो तो मेरे स्वंयवर में आ जाते। अब जब मैं सेटल होने की सोच रही हूं तो मुझे बाबा के खिलाफ और बाबा को मेरे खिलाफ भड़का रहे हो। तुम नहीं चाहते बाबा और मैं मिले। मैं इन धुआंधार आरोपों से चित हो चुका था। कुछ हिम्मत कर मैं बोला- ये आप क्या कह रही हैं। म..म..मैं आपको पसंद नहीं करता, न मैं आप दोनों के बीच आ रहा हैं। राखीजी बोली- चुप करो तुम। मुझे मत समझाओ। मैं सबको बता दूंगी, प्रेस कांफ्रेंस करवाउंगी। कहां है मीडिया, यहां आओ। मेरे और बाबा के बीच दरार डालने वाला मुझे मिल गया....। पकड़ो इसको।

नाग पंचमी है और सांप को दूध पिलाने का रिवाज है। वैज्ञानिक कहते हैं सांप दूध नहीं पीते, वे दूध पी नहीं सकते पर हमारे घर वालों ने कहा जा सांप को दूध पिला के आ। वैसे भी बहुत सारे पाप किए हैं जीवन में तूने, आज उतारने का दिन है। सांप जितना दूध पीएगा उतना तेरा पाप उतरेगा। मैंने कहा- सांप दूध नहीं पीता, वो चूहा खाता है, कीड़-मकौड़े खाता है। वह तो मांसाहारी है। पर मां की आंख में गुस्सा देख मैं दूध का कटोरा लिए वहां से भागा। पर अब यक्ष प्रश्न यह था कि सांप को कहां ढूंढा जाए।फिर भी मैं गलियां छानते रहा। देखा एक बिल में सांप घुसने की कोशिश कर रहा है। मैंने उसका पूंछ पकड़ा औरउसे बाहर निकाला। सांप फन फैलाकर खड़ा हो गया और बोला- क्या हुआ तुझे। तुम इंसानों के डर से ही तो छुप रहा था। मेरे सारे साथी समय पर छुप गए। उन्होंने मुझे चेताया भी कि छिप जा नहीं तो मनुष्य आ जाएंगे। आज नाग पंचमी है, तुझे जबर्दस्ती दूध पिलवाएंगे। पर मैंने लापरवाही कर दी और तुमने मुझे पकड़ लिया। अब बोलो क्या चाहिए। मैंने कहा- चाहिए कुछ नहीं बस, ये दूध पी लो। सांप मूंह फेरते हुए बोला- नहीं पीता। मैं बोला- सांप हो तुम, दूध तो पीना ही पड़ेगा। सांप बोला- चल इमोशनल अत्याचार मत कर। पी लूंगा, पर पहले मेरी व्यथा सुनी पड़ेगी तुमको। मैंने बोला- बस इतनी सी बात है, लोगों की परेशानियां सुनना और उन्हें सुलझाना तो मेरा प्रिय शगल है। शुरू हो जाओ- नागराज, व्यथपुराण आरंभ किया जाए।



सांप रोते हुए बोला- तुम मनुष्यों ने हम भोले-भाले सांपों का बहुत शोषण किया है। हमारी इजाजत के बिना हमें मुहावरों में जबरन ठूंस-ठूंसकर खलनायक का दर्जा दे दिया तो कभी फिल्मों में हमें फिट करके पैसे बना लिए और हमें इतने सालों बाद तक रायल्टी तक नहीं मिली है। हमारी सर्प उत्थान समिति इसके खिलाफ सर्पमोर्चा निकालने की सोच रही है। खैर यहां तक तो हमने किसी तरह बर्दाश्त कर भी लिया मगर हद तो तब हो गई जब तुम इंसानों ने हमारे निजी जीवन तक को भी नहीं छोड़ा। जंगलों में कैमरे लगा दिए। नाग-नागिन रोमांस करने जाएं तो उसकी शूटिंग, बिल से बाहर निकले तो शूटिंग, बिल में छुपे रहे तो भी शूटिंग। इतनी शूटिंग हो गई कि दहशत में कई नागिनों ने तो अंडे देना ही बंद कर दिए। पहले मैं बस्तर के घने जंगल में रहता था। एक बार मैं बड़ी मशक्कत के बाद मानी एक नागिन के साथ प्रणय करने जा रहा था कि तभी रास्ते में मुझेएक जीव वैज्ञानिक ने उठा लिया और उंगली दिखा-दिखाकर मेरी विशेषताएं बताने लगा। मैं बेबस सा फुफकारते हुए बोला- " मेरी जितनी विशेषताएं बताना है बता ले, लेकिन अगर आज मैं अपनी प्रेमिका से नहीं मिल पाया तो सोच लेना तुझे तेरी सुहागरात नहीं मनाने दूंगा।" इंसानों की आबादी तो बढ़ती रही लेकिन सांपों की आबादी पर अल्पविराम लग गया।



फिर भी सांप सब कुछ रेंगते-रेंगते सहते रहे। सांप के आहार में चूहे, गिलहरी जैसे छोटे जानवर आते हैं लेकिन इंसानी करतूत के कारण इनका आहार भी छिन गया। गिलहरी और मेंढक तो ढूंढे नहीं मिलते हैं फिर भी जिस दिन मिल गए समझो उस दिन सांपों की दिवाली होती थी। इसलिए सांपों ने मजबूरन चूहे को ही अपने मेनू में टॉप पर रख लिया। पर यहां भी उनका निवाला छिन गया। चूहों की तलाश में हमने शहरों और गांवों का रुख किया क्योंकि जहां भरपूर अनाज वहां भरपूर मोटे-मोटे चूहे। परंतु यूरिया और खाद मिले अनाज खाने वाले चूहे को खाने से कई सांपों के पेट में मरोड़ होने लगा और कई तो मौके पर ही लुढ़क गए। सांपों की ऐसी दुर्गति देखकर सांपों ने प्रकृति के विपरीत जाकर शाकाहारी होने का फैसला किया, जिनमे मैं भी था। एक सुबह मैं अपनी प्रेमिका नागिन के लिए भोजन की तलाश में निकला। पिछले वर्ष की बात है नागपंचमी के दिन हम दोनों ने दूध में "मिल्क बाथ" लिया उसके बाद सोचा कुछ खाया जाए। पास ही में हनुमानजी का मंदिर था। मैंने हनुमान जी की मूर्ति के पास भोग में चढ़ने वाला सामान मिठाई, फल, आदि देखा। मैंने सोचा क्यों न यहीं फन मारा जाए, मंदिर भी पास ही में है पांच मिनट में काम निपट जाएगा। मैं सब बटोर ही रहा था कि मुझे किसी ने देख लिया। मुझे देखने वाला सनसनी की खोज में निकला टीआरपी की मार से पीड़ित न्यूज चैनल का सनसनाता रिपोर्टर था। मुझे हनुमानजी को चढ़ा भोग खाता देख उसने मुझे हनुमानभक्त सांप की पदवी दे दी और फौरन अपने जैसे अन्य सनसनीपिपासु पत्रकारों को वहां मिनटों में खड़ा कर दिया। लोग इकट्ठे होते चले गए, दो आए, चार आए, आठ आए, पलक झपकते ही पूरा मंदिर हाऊसफुल हो गया। कुछ देर बाद तो मुझ हनुमानभक्त सांप को देखने टिकट लगने लगा था। कुछ चलताऊ किस्म के टपोरियों ने तो वहां साइड में साइकिल और गाड़ी स्टैंड भी लगा दिया। सायकिल का १० मोटसायकिल का २० और कार का ५० रुपए मात्र। हां प्रेसवालों और वीआईपी लोगों के लिए मुफ्त।



मैंने अब तक कईयों का बेड़ा पार लगा दिया था। सुबह से दोपहर हो गई मैं उसी अवस्था में अपनी कुंडली में मिठाई, फल और भोग का प्रसाद लपेटे हुआ था। मैं तो आया था ५ मिनट के लिए लेकिन तुम खुरापाती इंसानों ने ५ घंटे की परेड करवा दि। इतने में ही किसी पंडित ने घोषणा की कि यह सांप परम हनुमान भक्त है। पिछले जनम में ये परम हनुमान भक्त था और इस जन्म में सर्प रूप में फिर हनुमानजी के चरणों में अपनी भक्ति दिखाने आया है। मैं सोचने लगा- "खाली पेट न होय भक्ति, मैं तो खाना जुगाड़ने आया था या ये लोग मुझसे भक्ति करवाने पर तुले हैं। इस पंडित को अपने इस जन्म का ठीक से पता नहीं और मेरे पिछले जनम की कहानी सुना रहा है।" सभी रिपोर्टर पंडित की इस बात को लाइव दिखाने लगे। पंडित भी खुद को कैमरे के सामने पाकर अपने लुक पर ध्यान देने लगा और बीच-बीच में अपने बाल और धोती भी ठीक करता। इधर मैं बाहर निकलने के लिए जरा सी हलचल क्या करता कि सारे कैमरे और माइक मेरी ओर घूम जाते। सांप की तरह दिख रहे वे तार से बंधे माइक मुझे और भयभीत कर रहे थे। मगरमच्छ के मुंह की खुले हुए कैमरे मुझे कथित हनुमानभक्त सांप को खा जाने आतुर प्रतित हो रहे थे।



इसी बीच थका हुआ मैं जरा देर के लिए सो गया। तभी किसी ने हल्ला कर दिया कि हनुमानभक्त सांप को हनुमानजी के चरणों में अद्भुत शांति का अनुभव मिल रहा है, तभी वो उनके पैरों में सो गया। देखों किस तरह खुद को हनुमानजी के चरणों में खुद को अर्पित कर दिया है। इतना सुनते ही मैं फिर जाग गया। तुम लोग शांति से सोने भी नहीं देते। मैं भागने के प्रयास में दाएं मुड़ने का प्रयास करता तो कोई एक नई कहानी के साथ पेश हो जाता है। बाएं मुड़ता तो फिर कोई कहानीकार नई कहानी बना देता। ऐसे लग रहा था मानो देश के सारे कहानीकार यहीं उपस्थित हो गए हैं और मुझे बेब सांप के साथ अपना बैर निभा रहे हैं। एक चलते-फिरते भजन गायक ने तो तत्काल मेरे ऊपर आरती बना दी और अपना आरती गायन भी शुरू कर दिया। कुल मिलाकर सबकी अपनी अलग-अलग कहानी थी, पर सबका हीरो एक ही था- " मैं हनुमानभक्त सांप"।



अभी ये सब चल ही रहा था कि मुझे दूध पिलाने लोगों का हुजूम उमड़ पड़ा। कुंवारे-कुंवारियां विशेषकर दूध पिलाने आए क्योंकि पंडितजी ने घोषणा कर दी थी कि इस हनुमानभक्त सांप को दूध पिलाने वाले कुवारे-कुवारियों की शादी महीनेभर के भीतर हो जाएगी। मैं सोचने लगा- "अबे निकम्मों, तुम लोगों के चक्कर में मेरी खुद की शादी नहीं हुई। बमुश्किल एक नागिन मिली है उसी के साथ लिव इन रिलेशनशिप में हूं और तुम लोग मुझे दूध पिलाकर अपनी शादी करवाने के जुगाड़ में हो। अरे निर्दयियों कुछ तो रहम करो। अगर मैंने इतना सारा दूध पी लिया तो मेरा रंग तो ऐसे ही काले से गोरा हो जाना है काले से गोरे होने कारण जात बाहर हो जाऊंगा वो अलग।" फिर भी लोग मुझे दूध पिलाने लड़ते-मरते रहे।



मैं अब भागने का प्रयास में हनुमानजी की मूर्ति के चक्कर लगाने लगा। तो लोग इसका अर्थ निकालने लगे कि सांप भक्तिधुन में नाच रहा है और उसे मोक्ष मिलने वाला है। मैं भी सोचने लगा- "तुम लोगों को जो सोचना है सोचो, एक बार यहां से निकल जाऊं कसम खाता हूं दोबारा नहीं आऊंगा। मेरे लिए तो फिलहाल यहां से निकलना ही मोक्ष समान है।"



शाम से रात हो गई। मैं भी बाहर न जाने के कारण उकता गया था। सबकी नींद उड़ाने वाले रिपोर्टर धीरे-धीरे नींद की गिरफ्त में आ गए। मैंने मौका देखा और अपनी केंचुली निकालकर धीरे वहां से खिसक लिया। नींद खुलने के बाद रिपोर्टरों ने जब सांप को गायब देखा और सिर्फ उसकी केंचुली देखी तो फिर टीवी पर ब्रैकिंग न्यूज फ्लैश करने लगे- हनुमानभक्त सांप हनुमानजी में समा गया। ऐसी अद्भुत भक्ति कभी किसी ने देखी न होगी। सांप अपनी केंचुली यहां छोड़कर हनुमानजी की मूर्ति में समा गया। जय हो हनुमानभक्त सांप की। सब रिपोर्टर फिर से हनुमानजी की मूर्ति और केंचुली की फोटो उतारने में मशगूल हो गए। लोगों द्वारा हनुमानभक्त सांप की आरती गायन और कहानी लेखन का कार्यक्रम फिर से शुरू हो गया। मैं ये सब देख अपनी नागिन के साथ भागा जो मेरा इतने देर इंतजार करने के बाद बिल्लू सांप के साथ जाने का मन बना चुकी थी। शुक्र है आखिर मैं से भाग पाया और अपनी नागिन को भी पा लिया। तब से मैंने कसम खाई है नागपंचमी के दिन तो मुझे दिखना ही नहीं है। सांप की ऐसा हृदयविदारक कहानी सुन मेरी आंख भर आई। मैंने कटोरी का दूध खुद पी लिया और बोला, जाओ मेरे भाई, पाय लागूं, भाभी को चरणस्पर्श कहना। भतीजे-भतीजीयों को मेरा प्यार देना। मुझे अश्रुजल बहाता देख वह सरपट भागा। पर पीछे खड़े पोंगापंडितजी सब सुन चुके थे। उन्होंने तुरंत एसएमएस द्वारा द रिटर्न ऑफ हनुभक्त सांप की खबर फैलानी शुरू कर दी। मैं बस आंसू बहाते रहा। जब आंख खोला तो देखा कि पंडितजी मुझे भक्त ऑफ हनुमानभक्त सांप की उपाधि दे चुके थे। और मेरा आस-पास कैमरे की चकाचौंध थी। भागने की जगह भी न थी। मैं चिल्लाया- हे नागराज, मुझे बचाओ............।



पोंगापंडितजी का बम्पर ऑफर- अगर आप लोग हनुमानभक्त सांप की आरती को अपना रिगटोन बनाना चाहते हैं तो अपने मोबाइल से saap लिखकर 55555 पर भेज दीजिए। हनुमानभक्त सांप की केंचुली के फोटो और उससे बने ताबीज के लिए आप संपर्क कर सकते हैं बाबा नागराज से। घरपहुंच सेवा उपलब्ध है। घरपहुंच सेवा का अतिरिक्त चार्ज लगेगा क्योंकि हमारे हॉकर कोई नागराज नहीं हैं जो उड़कर आप लोगों के घर टपक जाएंगे, गाड़ी से आना पड़ेगा और पेट्रोल भी महंगा हो गया है।