valentine12आ गया.... आ गया.... प्यार का मौसम आ गया, प्यार करने का मौसम आ गया, प्यार जताने का मौसम आ गया। फरवरी के प्यार के महीने को शुरू हुए बस चंद दिन बीते हैं और चारों तरफ बस प्यार दिख रहा है। जहां देखो वहां प्यार। पहले प्यार अहसास का नाम हुआ करता था। अब प्यार ट्रैंड बन चुका है, फैशन बन चुका है। ऐसा लगता है जैसे "नफरत करने वालों के सीने में प्यार भर दूं,"- गीत गुनगुनाते हुए देव साहब ने पूरी दुनिया में फिल्मी प्यार भर दिया है, खासतौर से फरवरी महीने में। फरवरी के प्यार भरे महीने में भगवान भी ऊपर से जब पृथ्वी को देखते होंगे तो वो भी गोल न दिखकर दिल की आकृति के रूप में दिखती होगी।



आप २१वीं सदी में जी रहे हैं तो आपको एक बात गांठ बांध लेनी चाहिए कि भले ही साल के ३६४ दिन आप "एकला चलो रे" का नारा लगाते हुए बिना किसी गर्लफ्रैंड के गुजार लें लेकिन ३६५वें दिन यानी वेलेंटाइन डे के दिन आपको अपनी वेलेंटाइन के साथ दिखना ही चाहिए वरना जीवन निरर्थक है। आपको तुरंत सांसारिक मोहमाया छोड़कर जंगलों का रास्ता नाप लेना चाहिए। बहुतों का तो न्यू इयर शपथ ही होता है कि ४५ दिन में किसी न किसी को गर्लफ्रैंड बनाना ही है, किसी  को अपने प्यार में खींचना ही है।  १४ फरवरी को बाइक की पिछली सीट पर लड़की को घुमाते हुए दोस्तों के सामने से ले जाना है। जब तक १०-१५ दोस्तों के मुंह से आह...... नहीं निकलती तब तक क्या मजा वेलैंटाइन डे का।


valentine31जैसे बरसात आने के पहले लोग रेनकोट का बंदोबस्त कर लेते हैं। गर्मी के पहले कूलर और ठंडी के पहले गर्म कपड़ों के जुगाड़ में लग जाते हैं। इसी तरह वैलेंटाइन सीजन आने से पहले ही लोगों ने अपने वैलेंटाइन के लिए जुगाड़ जमाना चालू कर दिया।  कुछ डॉक्टर मरीज को तो बचे-खुचे अपनी नर्स को ही प्यार का इंजेक्शन देने लगे। प्रोफेसर टीचर की लव क्लासेस लेने में मशगूल रहते हैं  तो वकील भी प्यार भरे केस लड़ते रहते हैं। सरकारी दफ्तरों का हाल तो और भी निराला रहता है। दफ्तरों के बाबू मैडमों को अपने प्यार की फाइल अग्रेषित कर रहे थे। बड़े अफसर तो इससे आगे जाकर सर्कुलर के माध्यम से अपने प्यार का आर्डर दे रहे थे कि १४ फरवरी को वेलेंटाइन गार्डन में अपरान्ह २.०० बजे वेलेंटाइन डे पर प्यार की बैठक रखी गई है, आफिस में जो भी इच्छुक-अनिच्छुक महिला कर्मी हैं वे आ ही जाएं क्योंकि अगर गलती से हमारा वैलेंटाइन डे खराब हुआ तो अगले दिन से आपकी नौकरी खराब हो सकती है।। कुल मिलाकर फंडा ये कि सब अपने-अपने वैलेंटाइन डे की सेटिंग में बिजी हैं। लव के लिए इतनी सेटिंग देखकर सरकार तो फरवरी को लव मंथ, नो वर्क मंथ घोषित करने की भी तैयार कर रही थी, पर हमने ये घोषणा कुछ समय के लिए टलवा दी। कहा- इतनी भी जल्दी क्या है सरकार, हमारी लव सेटिंग तो होनी दीजिए फिर घोषित करते रहिएगा लव मंथ।


traffic1इतने लवेबल महीने में हमारे गुलगुल पांडे दुखी थे। सबके वेलेंटाइन प्लान जम चुके थे पर इनको तो अभी तक इनकी वेलेंटाइन भी नहीं मिली थी । पिछला वेलेंटाइन भी बिना गुल खिलाए निकल गया था और इस वर्ष भी कुछ ऐसा ही बुरे आसार नज़र आ रहे थे। पर क्या करें सारा कसूर इनकी  नौकरी का था। कभी यहां खड़े रहो, कभी वहां खड़े रहो- ट्रैफिक पुलिस वाले जो थे। कहीं कुछ सेटिंग होने लगती तो झट से अगले दिन शिफ्ट कर दिए जाते। खैर इस साल उन्होंने पूरी तैयारी की है। पिछले साल की ब्लाकब्लस्टर दबंग के सलमान खान की तर्ज पर इन्होंने भी आंखों पर काला चश्मा चढ़ा लिया, मूंछे उगा लीं और निकल पड़े अपनी मटकती हुई हिरोइन की तलाश में। लहराते- उछलते, एक इशारे पर सैंकड़ों गाड़ियों को रोकते, शहर के दबंग गुलगुल पांडे। शहर के हृदयस्थल स्थित चौक पर जबसे इनकी ड्यटी लगी थी इनकी चांदी हो गई थी। हर मिनट चौक से गुजरती  अनगिनत स्कूटी और उस पर बैठी अप्सरा सी स्कूटीवालियां। गुलगुलजी के दिल में तो प्यार के मीठे मीठे गुलगुले बनने लगे। ये सोच उनका दिल बाग-बाग हो जाता कि इस वेलेंटाइन डे पर एक क्या १४०० गर्लफ्रैंड पट जाएंगी। पिछले सारे वेलेंटाइन डे पर सिंगल रहने के पाप एक बार में धुल जाएंगे।


अगले ही दिन उनके नैन एक स्कूटी वाली के मस्त मस्त नैन से लड़ गए। गुलगुल पांडे तो मानो प्यार में सब भूल गए। हरे लाइट पर ट्रैफिक रुकवा देते तो लाल लाइट पर गाड़ियां छोड़ देते। जैसे ही किसी जोड़े को साथ घूमता देखते उनके दिल में प्यार की लहर और जोर से हिलोरें मारने लगती। जिस तरफ इनकी वेलेंटाइन गाडी लिए खड़ी रहती उसी तरफ की ट्रैफिक छोड़ देते। इनकी वेलेंटाइन भी रोज कातिल मुस्कान देते हुए निकल जाती जिसे देख ये और बांवरे हो जाते। दिन ब दिन ये बांवरापन बढ़ता गया और कुछ दिनों में ये शत-प्रतिशत बांवरे हो गए। पर कहते हैं न इश्क इज फुल ऑफ रिस्क। वेलेंटाइन डे के लिए वेलेंटाइन तो ताड़ ली थी पर वेलेंटाइन डे पर होने वाले खर्च के लिए वेलेंटाइन फंड अब भी खाली था। तो हमारे गुलगुलजी ने अगले ही दिन से शुरू कर दिया फंड भरो अभियान अर्थात वसूली अभियान। हर आती-जाती गाड़ी को रोककर किसी न किसी कारण उसका चालान काटते, चालान का डर दिखाकर ऑन द स्पॉट सेटिंग करते और अपनी जेब गर्म करतो। इस तरह चंद दिनों में अच्छा खासा फंड जमा भी जमा हो गया और लोगों में इनकी दहशत भी आ गई। इनकी दहशत देखकर अब लोग इनके पास गाड़ी तो क्या पैदल फटकने से भी कतराने लगे।


traffic love cartoonवेलेंटाइन भी देख ली थी, फंड भी इकट्ठा कर लिया, इंतजार था तो बस चाहत के इकरार का।  फिर आया वो हसीन दिन ९ फरवरी २०११। गुलगुल पांडे दूल्हे की सज-धजकर, गाना गुनगुनाते हुए निकले। बाहर निकले ही थे कि पड़ोसी ने टोक दिया- "ध्यान से गुलगुल जी ९.२.११ को प्रणय निवेदन करने जा रहे हो, कहीं आपकी वेलेंटाईन ही ९-२-११ न हो जाए।" गुलगुलजी जल्दी में थे इसलिए बस आंखें दिखाई और चल दिए। आंखों में चश्मा चढ़ाए, हाथों में फूल लिए वे स्कूलीवाली का चौक के बीचों बीच इंतजार करने लगे। उन्हें वो दूसरी तरफ खड़ी दिखाई दी। वे उसकी तरफ दबंग स्टाइल में बढ़ने लगे। पहले तो उन्हें देख उनकी वेलेंटाइन रोज़ की तरह मुस्कुराई लेकिन उनके दबंग स्टाइल को देख डर गई और सोचने लगी "कहीं ये चालान काटने तो नहीं आ रहा, मैंने तो लाइसेंस भी नहीं बनवाया अब तक, क्या बहाना बनाउंगी? क्या बोलूंगी?  रोज तो स्माइल देकर निकल जाती थी, पर कहीं आज फाइन न देना पड़ जाए। यहां से निकलने में ही भलाई है, कहीं ये पकड़ न ले। " ये सोचते हुए उसने गाड़ी स्टार्ट की और फरार्टे भरते हुए निकल ली। चुलबुल जी हाथ के पीछे गुलदस्ता दबाए उसे ताकते रह गए। कुछ देर में वो नजरों से ओझल हो गई। बस फिर क्या था वेलेंटाइन के जले गुलगुलजी ने फूल फेंका और प्रण ले लिया कि- "१४ फरवरी को कोई भी जोड़ा साथ दिखाई दिया तो इतने चालान काटूंगा, इतने चालान काटूंगा कि कन्फ्यूज हो जाएगा कि चालान पटाऊं या वेलेंटाइन डे मनाऊं।" सबका वेलेंटाइन खराब कर दूंगा। इस तरह गुलगुलजी का यह वेलेंटाइन भी वेलेंटाइनलैस निकला देखें अगले साल क्या होता है इनका। आशा करता हूं आप लोगों की वेलेंटाइन डे अच्छी रहेगी।