धोनी की कप्तानी वाली टीम इंडिया टी-20 वर्ल्ड कप क्या नहीं उठा पाई हमारे मित्र मोंटी क्रिकेटिया ने पूरे मोहल्ले को सर पर उठा लिया। अपने घर से पिछले धरने-प्रदर्शन का अधजला पुतला उठाकर और उस पर धोनी का पोस्टर चिपकाकर निकल आए चौक पर धोनी का पुतला जलाने।


मैं दूर खड़ा उसको देख रहा था। जैसे ही वो पुतले में आग लगाने लगा मैंने रोकते हुए कहा, अरे बंधु क्या हुआ? इतने तमतमाए हुए क्यों हो और धोनी के पुतले को लिए हुए कहां फिर रहे हो?

उसने पुतले को एक किनारे पटकते हुए कहा- धोनी अब कप्तान रहने लायक नहीं है, दो बार टीम इंडिया टी-20 विश्व कप से बाहर हो गई है। इसलिए मैं चौक पर धोनी का पुतला जलाकर अपना गुस्सा निकालूंगा।

मैंने टोकते हुए कहा- तुम भी खूब हो। कल तक जिस धोनी के छक्कों पर तुम तालियां पीट रहे थे, आज उसी के तुम छक्के छुड़ा रहे हो। ऐसा कर दिया धोनी ने कि तुम उसके पीछे पड़ गए हो?

मोंटी बोला- मुझे धोनी से नहीं धोनी के सफाई से परेशानी है?

मैं चौंकते हुए बोला- अब भला धोनी की सफाई से तुम्हें क्यों परेशानी होने लगी। बड़े-बुजुर्गों ने भी कहा है साफ-सफाई से रहना चाहिए।तो इसमें परेशानी कैसी?

मोंटी समझाते हुए बोला- अरे नहीं, मैं उस सफाई की बात नहीं कर रहा बल्कि उस सफाई की बात कर रहा हूं जो धोनी हारने के बाद बार-बार सबको दे रहे हैं। चुपचाप अपनी हार क्यों नहीं मान लेता।

मैंने उसे समझाया, देखो धोनी अब एक ब्रांड बन चुका है। कितनी कंपनियों का वह ब्रांड एंबेसडर है। उसने चॉकलेट, पेन, पेंसिकल से लेकर गाड़ी, मोबाइल और कपड़े तक बेचे हैं। हो सकता है उसे किसी डिटर्जेंट कंपनी ने अपना ब्रांड एंबेसडर बना लिया हो और धोनी सफाई देने के बहाने उसी डिटर्जेंट का प्रचार कर रहे हों कि फलां डिटर्जेंट लगाओ और हार के दाग मिटाओ।

मोंटी खीझते हुए बोला- धोनी बहाना बना रहा है कि आईपीएल की नाइट पार्टियों के कारण वर्ल्ड कप में उनकी हार हुई है। किसने बोला था रात-रातभर नाचने-गाने? मुझे तो लगता है कि धोनी को अब सिर्फ आईपीएल में ही दिलचस्पी है वर्ल्ड कप जीतने में उसका अब मन रहीं रहा।

मैंने अपना तर्क रखते हुए कहा- देखो मैं तो धोनी को गलत नहीं मानता। अब धोनी ने एक बार वर्ल्ड कप जीत लिया, हो गया। अब तुम चाहते हो कि वह हर बार जीते। हो सकता है यह धोनी का उसूल हो कि एक बार जो चीज उठा ली उसे दोबारा नहीं उठाएंगे इसलिए पहला टी-20 वर्ल्ड कप जीतने के बाद बाकी दोनों वर्ल्ड कप से वे जल्दी ही बाहर हो गए। वैसे भी टी-20 वर्ल्ड कप तो दो साल में एक बार आता है पर आईपीएल तो हर साल होता है वो भी दो महीने के लिए। कहां वर्ल्ड कप के 3-4 मैच और कहां आईपीएल के 14-15 मैच वो भी एक के बाद एक। सांस लेने तक की फुर्सत नहीं, अब तुम ही बताओ वर्ल्ड कप में ज्यादा मेहनत लगती है कि आईपीएल में। इस साल तो आईपीएल में धोनी की चेन्नई टीम जीत गई। अगले साल फिर नीलामी होगी और धोनी की बोली और बढ़ेगी शायद आसमान छू जाए ऐसे में आईपीएल पर ध्यान देना यादा जरूरी है। वर्ल्ड कप में खेले तो बस मैच फीस मिलनी है लेकिन आईपीएल में तो हर चौके-छक्के और कैच पर पैसा ही पैसा। वर्ल्ड कप में कुछ मेहनत नहीं करना पड़ता वो तो कोई भी जीत जाएगा लेकिन आईपीएल में तो मेहनत ही मेहनत है। पहले ऊंचे दाम पर बोली लगने की मेहनत, फिर ग्यारह देशी-विदेशी खिलाड़ियों के बीच अपनी जगह बनाने की मेहनत, छक्के पे छक्के लगाने की मेहनत ताकि बालीवुड हिरोइनों की नजरों में हीरो बन जाएं और हां मैच जीत गए तो रात को पार्टी में नाचने-गाने की मेहनत। हाय राम इतनी मेहनत। और कहां वर्ल्ड कप जो दो साल में एक बार आता है, गिनती के 4-5 मैच और बस छोटी सी प्राइज मनी। न कोई ग्लैमर न पार्टी। तो ये कोई क्यूं ले वो न ले।

मेरे इस जवाब ने मोंटी को निरुत्तर कर दिया, फिर भी वह कहीं से शब्दों को ढूंढकर लाया और बोला- चलो तुम्हारी बात मान लेता हूं। लेकिन जिस तरह टीम इंडिया का फार्म चल रहा है, मुझे नहीं लगता कि टीम जून में होने वाले एशिया कप को जीत पाएगी।

मैंने समझाते हुए कहा- अमा यार, तुम भी अजीब हो। इतनी सी बात नहीं समझते। तुम एशिया के बाहर निकलो, जरा ग्लोबल बनो। जून में होने वाले एशिया कप को छोड़ो और सितंबर में होने वाले चैंपियंस लीग को पकड़ो। एशिया कप में तो सिर्फ भारत, पाकिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका खेलेंगे लेकिन चैंपियंस लीग में तो देश-विदेश की क्लब टीमें और आईपीएल की तीन टीमें भी खेलेंगी जिसमें धोनी की चेन्नई टीम भी शामिल है। एशिया कप मतलब वही 4-5 मैच वही छोटा सा प्राइज मनी और वही हल्की सी ट्राफी लेकिन चैंपियंस लीग मतलब ज्यादा पैसा, ज्यादा ग्लैमर और ज्यादा चीयरलीडर्स। मतलब बल्ले-बल्ले पार्टी-शार्टी।

मोंटी बोला- तुम्हारा मतलब टीम इंडिया एशिया कप भी हारेगी और धोनी फिर सफाई देगा? लेकिन उस बार क्या बोलेगा?

मैंने बात साफ करते हुए कहा- धोनी ने तो एशिया कप में हारने के बाद देने वाली सफाई की लिस्ट भी बना ली है।

इतना सुनते ही शांत मोंटी के अंदर फिर गुस्सा उबल उठा और वह बोला- अब मैं एक नहीं धोनी के दो पुतले जलाउंगा एक एडवांस में क्योंकि जून में एशिया कप में टीम जब हारेगी तब मैं बारिश के कारण पुतला जला नहीं पाउंगा।

मैं मोंटी को उसके प्यारे पुतलों के साथ छोड़कर अपने रास्ते निकल लिया क्योंकि मैं कुछ देर और ठहरता तो मेरी बातें सुनकर उसे कई पुतले जलाने पड़ते।

चलिए बाकी के पुतले मैं उससे सर्दियों में जलवाउंगा, आग तापने के काम तो आएंगे। आपको मेरा यह व्यंग्य कैसा लगा जरुर बताइएगा।

Comments (1)

On 31 मई 2010 को 11:00 pm बजे , पवन धीमान ने कहा…

गुदगुदाने वाला व्यंग्य... बहुत खूब.