पूरे शहर में सन्नाटा पसरा है। गली-मोहल्ले, नुक्कड़, चौक सब सूने पड़े हैं। न तो इंसानों के कदमों की आवाज सुनाई पड़ रही है और न ही उनके शोर-शराबे की। चारों तरफ सिर्फ कुत्तों के भौंकने की आवाज गूंज रही है। ये नजारा है कुत्तों द्वारा आयोजित भारत बंद का। अखिल भारतीय श्वान संघ ने कुत्ते शब्द के दुरुपयोग और इंसानों द्वारा कुत्तों के मान-सम्मान को ठेस पहुंचाने के विरोध में भारत बंद का आयोजन किया है। अखिल भारतीय श्वान संघ के अध्यक्ष कालू ने आपात बैठक बुलाकर भारत बंद आयोजित करने का प्रस्ताव पारित किया। सब कुत्ते आज राष्ट्रपति के सामने अपनी व्यथा रखने जा रहे हैं। उनके मान-सम्मान पर जो चोट इंसान करता आया है वो अब उनके बर्दाश्त के बाहर हो चुका है। गली-गली से कुत्ते दिल्ली में इकट्ठा होने लगे। पालतू कुत्ते, गली के कुत्ते, काले कुत्ते, गोरे कुत्ते, लंगड़े कुत्ते, मोटल्ले कुत्ते, मरियल कुत्ते और खुजली वाले कुत्ते भी। सब के सब सड़कों पर रैली निकालकर एक स्वर में भौंककर अपना विरोध दर्ज कराना लगे। श्वान संघ ने इंसानों के सख्त हिदायत दे रखी थी कि कोई भी इंसान बंद के दौरान सड़क पर नजर आया तो इतना काटेंगे कि पेट में १४ नहीं १४०० इंजेक्शन लगेंगे।
इस रैली का चुपके से कवरेज कर रहे फर्राटा चैनल के जुझारू रिपोर्टर ने किसी तरह हिम्मत जुटाकर श्वान संघ के अध्यक्ष का इंटरव्यू लेने की ठानी। वह कुछ कदम आगे बढ़ा ही था कि १०-१२ कुत्तों का झुंड उस पर लपक पड़ा। श्वान संघ के अध्यक्ष कालू ने तब कुत्तों को दूर रहने का आदेश दिया। उस रिपोर्टर को अपने पास यह सोचकर बुलवाया कि चलो इंटरव्यू दे देता हूं, अपनी भी थोड़ी पब्लिसिटी हो जाएगी। वह रिपोर्टर किसी तरह अपने आपको संभालते हुए अध्यक्ष कालू के पास पहुंचा। जाते ही तपाक से पूछा, आप लोग ये बंद क्यों कर रहे हो। अध्यक्ष का खून खौल गया उसने उस पर अपना प्रश्न रॉकेट की तरह दागते हुए पूछा तुम इंसान इतनी बार भारत बंद करवाओ तो ठीक और हम कुत्तों ने एक बार भारत बंद करवा दिया तो तुम्हारे पेट में दर्द हो रहा है। रिपोर्टर इस प्रश्न के सामने निरुत्तर हो गया। घबराकर वह बोला- म..म...मेरा मतलब है कि आप लोग ये भारत बंद क्यों कर रहे हो? आपकी क्या मांगें हैं? अध्यक्ष बोला- तुम इंसानों ने हम कुत्तों के मान-सम्मान का फालूदा कर दिया है। जब देखों हमारे अपमान करते रहते हो। अपने आपसी लड़ाई में हम कुत्तों के नाम का दुरुपयोग करते हो। लड़ाई तुम करते हो और इज्जत हमारी उछालते हो। रिपोर्टर बोला- आप जरा खुलकर बताएं। बात को साफ कीजिए।
अध्यक्ष बोला- हम कुत्ते हमेशा वफादार रहते हैं, लेकिन तुम इंसानों ने हमेशा बेवफाई की है। सबसे पहले इसकी शुरुआत तुम लोगों के हीरो धर्मेन्द्र ने की। उसकी लड़ाई गब्बर से थी। गब्बर ने जय को मारा, उसी ने बसंती को कैद किया. लेकिन उसे कुत्ते का खून पीना है गब्बर का नहीं। ये कहां का इंसाफ है भई। हमने क्या किया था। गब्बर के चमचे बसंती का नाच देख लें तो ठीक हैं लेकिन हम कुत्तों के सामने बसंती नहीं नाच सकती, क्यों भला? पता है उसके कारण मैं और मेरी पत्नी कभी मिल नहीं पाए। वो रामगढ़ में रहती थी लेकिन मैं कभी उसे मिलने नहीं जा पाया, धर्मेन्द्र के डर से। पता नहीं कबवह मेरा खून पी जाता। मुझे पर जो इमोशनल अत्याचार हुआ उसका दोषी कौन है?
अध्यक्ष आगे बताता है- तुम इंसान लड़ते समय एक दूसरे को गाली देते हुए कुत्ता कहते हो। कोई भी इंसान ऐसे ही कु्त्ता नहीं बन सकता। कुत्ता बनने के लिए कुत्ते का गुण होना आवश्यक है। कुत्ता होने के लिए वफादार होना जरूरी है और इंसानों में तो वफादारी लुप्त हो चुकी है। तो तुम लोग बिना हमारे परमिशन के किसी को कुत्ते की उपाधि कैसे दे सकते हो। बोलो।
रिपोर्टर को अध्यक्ष की बात में दम लगा। वह सोच में पड़ गया।
अध्यक्ष आगे बढ़ते हुए बोला- अभी थोड़े समय पहले दो फिल्मस्टारों ने आपसी लड़ाई में हमको बेवजह शामिल कर दिया। आमीर खान ने शाहरुख खान को नीचा दिखाने के लिए अपने कुत्ते का नाम शाहरुख रख दिया और ब्लाग में लिख दिया कि शाहरुख मेरे पैर चाट रहा है। जब उसके दिल को ठंडक मिल गई तब बाद में शाहरुख से माफी भी मांग ली। उसे शाहरुख से नहीं हमसे माफी मांगनी चाहिए थी। अरे हमसे बिना पूछे उसने अपने कुत्ते का नाम शाहरुख कैसे रखा. अपनी लड़ाई में हमको शामिल क्यों किया। क्या हम अपनी लड़ाई में इंसानों को शामिल करते हैं। नहीं ना।
अध्यक्ष के इन तथ्यों ने रिपोर्टर के दिल पर करार वार किया।
अध्यक्ष बोला- एक और किस्सा बताता हूं, हाल ही में नितिन गडकरी ने लालू और मुलायम को भी कुत्ते की उपाधि देते हुए कहा कि वे दोनों कुत्ते की तरह सोनिया गांधी के तलवे चाटते थे। अब बताओ किस आधार पर गडकरी ने लालू-मुलायम को कुत्ता कह दिया। कुत्ते तो प्यार से अपने मालिक के तलवे चाटते हैं क्योंकि उसे भी अपने मालिक से प्यार मिलता है। इसमें उसका कोई स्वार्थ नहीं होता। लेकिन लालू और मुलायम थोड़ी न सोनिया से प्यार या स्नेह करते हैं जो वे उसके तलवे चाटेंगे। उन्हें तो बस सरकार में अपने हिस्से से प्यार था। इंसानों द्वारा इतनी बार कुत्तो के इज्जत की धज्जियां उड़ाने के बाद अब हमें और बर्दाश्त नहीं होता। इसी के विरोध में हमने भारत बंद का आयोजन किया है और अब राज्यपाल के पास जाकर हम अपनी मांगें रखेंगे।
पहली मांग तो यह कि कोई भी इंसान बिना कुत्ते के गुणों को जाने किसी दूसरे इंसान को कुत्ता नहीं कहेगा। दूसरी कि भी अपनी लड़ाई में हम कुत्तों को नहीं घसीटेगा। तीसरा धरम पाजी को अपना डायलाग कुत्ते मैं तेरा खून पी जाऊंगा छोड़ना पड़ेगा, छोड़ो उनकी तो अब पिक्चर भी नहीं आती डायलॉग क्या बोलेंगे, ठीक है तीसरी वाली मांग कैंसल। बाकी की मांगें राज्यपाल को बताएंगे। बस अब इंटरव्यू खत्म,अध्यक्ष बोला। अब हमारा समय बर्बाद मत करो हमे राष्ट्रपति के पास जाना है।
रिपोर्टर अपने घर आया और उसने अपने कुत्ते को खोल दिया जिसे उसने अपने विरोधी के नाम पर रखा था। शायद उसे भी कुत्ते शब्द का असली मतलब पता चल चुका था। उसका पालतू कुत्ता भी दौड़कर बाकी कुत्तों के साथ शामिल होकर चल पड़ा राष्ट्रपति भवन। रैली फिर आगे बढ़ने लगी और भौंकने की आवाज से पूरा शहर फिर गूंजने लगा।
शनिवार, मई 29, 2010 |
Category:
व्यंग्य
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